Shri Hit neh Nagri Das Ji
श्री हित नेह नागरीदास जी का जन्म 1590 के आसपास मध्य प्रदेश के बेरछा गांव में एक धनी पंवार क्षत्रिय परिवार में हुआ था। एक बार श्री हित चतुर्भुज दास जी सत्संग के लिए संत मंडली के साथ अपने गाँव आये तो वे नित्य विहार उपासना की ओर आकर्षित हो गये। वे राधावल्लभ आचार्य गोस्वामी वंचनाद्र जी के शिष्य हैं। आधी रात को लाल जी के साथ लीला करने के बाद जब श्रीजी अपनी सखिया के साथ प्रकट हुईं तो नागरीदास जी ने उन्हें बहुत स्वादिष्ट भोजन दिया और निशीथ-भोग (खीर और पूरी) का यह नियम जारी रखा। उस समय राधा जी ने बरसाना में एक मंदिर बनाने और हर साल जन्मोत्सव मनाने की बात कही थी।